स्वर्गीय नग़मे
सूरह काफ़ से "मिनशावी" का श्रव्य तिलावत|फिल्म
तेहरान (IQNA) नीचे आप मुहम्मद सिद्दीक मिनशावी, जिन्हें मसरी के नाम से भी जाना जाता है,इनके द्वारा सूरह काफ़ की आयत 31 से 34 तक की तिलावत सुनेंगे।
وَأُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ غَيْرَ بَعِيدٍ ﴿۳۱﴾.
और नेक लोगों के लिए जन्नत को निकट ले आओ, वह दूर नहीं है।
هَذَا مَا تُوعَدُونَ لِكُلِّ أَوَّابٍ حَفِيظٍ ﴿۳۲﴾
और वे उनसे कहेंगे] यही है जिसका वादा तुमसे किया गया था। [और] प्रत्येक तौबा करनेवाले के लिए एक संरक्षक [अल्लाह की सीमाओं का] होगा।
مَنْ خَشِيَ الرَّحْمَنَ بِالْغَيْبِ وَجَاءَ بِقَلْبٍ مُنِيبٍ ﴿۳۳﴾
वह व्यक्ति जो गुप्त रूप से अत्यंत दयालु ईश्वर से डरता है और पश्चातापी हृदय से लौटता है।
ادْخُلُوهَا بِسَلَامٍ ذَلِكَ يَوْمُ الْخُلُودِ ﴿۳۴﴾
इसमें शांति [और खुशी] के साथ प्रवेश करो, क्योंकि यह शाश्वत दिन है।
सूरा काफ़
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